Artificial Intelligence (AI) अब कोई भविष्य की बात नहीं रह गई, बल्कि यह हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी और कामकाज का हिस्सा बन चुका है। हेल्थकेयर, एजुकेशन, बैंकिंग, मैन्युफैक्चरिंग और ई-कॉमर्स—हर जगह AI का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
भारत में AI को लेकर चर्चा और बहस तब और तेज़ हो गई जब ET Soonicorns Summit 2025 में उद्योग विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं ने इस सवाल पर बातचीत की कि “क्या AI हमारी नौकरियाँ छीन लेगा?” या फिर “क्या AI नई नौकरियों के अवसर बनाएगा?”
इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे:
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AI क्या है और यह कैसे काम करता है?
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भारत में नौकरियों पर AI का क्या असर होगा?
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भारत सरकार की AI रणनीति और मिशन क्या है?
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किन सेक्टर्स में AI सबसे बड़ा बदलाव लाएगा?
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और सबसे अहम—क्या भारत को AI से डरना चाहिए या इसे अपनाना चाहिए?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्या है?
Artificial Intelligence (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) ऐसी तकनीक है जिसमें मशीनें वो काम करती हैं जो सामान्यतः इंसानों की बुद्धि की ज़रूरत होती है। जैसे:
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फ़ैसले लेना
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समस्या हल करना
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भाषा समझना
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तस्वीरें पहचानना
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बार-बार होने वाले कामों को ऑटोमेट करना
आज AI हमारे चारों ओर मौजूद है:
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हेल्थकेयर में: बीमारियों का पता लगाने, दवाइयाँ बनाने और एक्स-रे स्कैन करने में।
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बैंकिंग व फाइनेंस में: धोखाधड़ी रोकने, चैटबॉट्स और ऑटोमेटेड ट्रेडिंग में।
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शिक्षा में: बच्चों के सीखने की गति के अनुसार personalized learning।
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ऑनलाइन शॉपिंग में: प्रोडक्ट रिकमेंडेशन और कस्टमर सपोर्ट।
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मैन्युफैक्चरिंग में: रोबोट्स और स्मार्ट ऑटोमेशन।
डर: क्या AI भारत की नौकरियाँ छीन लेगा?
यह सबसे बड़ा सवाल है।
World Economic Forum (WEF) की रिपोर्ट कहती है कि 2025 तक दुनियाभर में AI और ऑटोमेशन से 85 मिलियन नौकरियाँ खत्म हो सकती हैं। लेकिन, इसी दौरान 97 मिलियन नई नौकरियाँ भी बनेंगी।
भारत के लिए स्थिति कुछ अलग है:
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भारत की वर्कफ़ोर्स (कामगार जनसंख्या) लगभग 500 मिलियन (50 करोड़ लोग) है।
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इनमें से ज़्यादातर लोग कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और छोटे सर्विस सेक्टर्स में काम करते हैं।
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BPO, डेटा एंट्री, कस्टमर सपोर्ट, और रिपिटेटिव मैन्युफैक्चरिंग नौकरियों पर सबसे बड़ा असर पड़ेगा।
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NASSCOM की रिपोर्ट (2023) बताती है कि 2030 तक भारत की लगभग 9% नौकरियाँ AI से प्रभावित होंगी।
यानी, AI कुछ नौकरियाँ ज़रूर कम करेगा—but ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
उम्मीद: AI भारत में नई नौकरियाँ भी बनाएगा
AI पूरी तरह इंसानों की जगह नहीं लेगा, बल्कि काम करने का तरीका बदलेगा।
1. AI टेक्नोलॉजी से जुड़ी नई नौकरियाँ
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AI इंजीनियर्स, डेटा साइंटिस्ट्स, मशीन लर्निंग एक्सपर्ट्स की भारी मांग होगी।
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भारत हर साल लगभग 15 लाख इंजीनियर्स तैयार करता है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा AI करियर की ओर बढ़ रहा है।
2. इंसान + AI का कॉम्बिनेशन
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हेल्थकेयर में डॉक्टरों की मदद करेगा, लेकिन डॉक्टरों को रिप्लेस नहीं करेगा।
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कस्टमर सर्विस में चैटबॉट FAQs संभालेंगे, लेकिन जटिल समस्या इंसान ही हल करेंगे।
3. स्टार्टअप्स का बूम
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भारत में अभी 1500+ AI स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं।
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ये सिर्फ टेक जॉब्स नहीं, बल्कि सेल्स, मार्केटिंग, मैनेजमेंट के लिए भी नौकरियाँ बना रहे हैं।
4. अपस्किलिंग (नए स्किल्स सीखना)
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AI की वजह से AI ट्रेनिंग, रेगुलेशन, मेंटेनेंस जैसी नौकरियों की मांग बढ़ेगी।
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सरकार के प्रोग्राम जैसे Skill India और PMGDISHA लोगों को नई तकनीक सीखने का मौका दे रहे हैं।
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भारत की नेशनल AI रणनीति
भारत ने AI को लेकर एक स्पष्ट रणनीति बनाई है। NITI Aayog की National AI Strategy पाँच प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस करती है:
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हेल्थकेयर – सस्ती और बेहतर इलाज उपलब्ध कराना।
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कृषि – फसल की निगरानी, मौसम की भविष्यवाणी और स्मार्ट खेती।
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शिक्षा – personalized learning और डिजिटल क्लासरूम।
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स्मार्ट सिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर – ट्रैफिक मैनेजमेंट, कचरा कम करना और ऊर्जा बचत।
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स्मार्ट ट्रांसपोर्ट – AI से लैस लॉजिस्टिक्स और सेल्फ-ड्राइविंग गाड़ियाँ।
IndiaAI Mission (2024)
भारत सरकार ने 2024 में ₹10,000 करोड़ का बजट रखकर IndiaAI Mission लॉन्च किया। इसके लक्ष्य हैं:
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AI रिसर्च और स्टार्टअप्स को सपोर्ट करना
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AI कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना
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स्किलिंग प्रोग्राम्स से युवाओं को प्रशिक्षित करना
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AI में इनोवेशन और टैलेंट को बढ़ावा देना
वैश्विक तुलना: भारत बनाम दुनिया
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अमेरिका: Google, Microsoft, OpenAI जैसे दिग्गज रिसर्च में आगे हैं।
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चीन: 2030 तक AI में दुनिया का लीडर बनने का लक्ष्य।
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यूरोप: AI Ethics और Data Privacy पर फोकस।
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भारत: युवा जनसंख्या, IT टैलेंट और कम लागत का फायदा।
अगर भारत सही निवेश करे तो दुनिया का AI Outsourcing Hub बन सकता है।
भारत के सामने चुनौतियाँ
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स्किल गैप: ज़्यादातर लोग AI नौकरियों के लिए तैयार नहीं।
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जॉब डिस्प्लेसमेंट: BPO और सपोर्ट जॉब्स खतरे में।
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डिजिटल डिवाइड: गाँवों में इंटरनेट और AI शिक्षा की कमी।
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AI Bias: मशीनों के फैसले निष्पक्ष होने चाहिए।
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डेटा प्राइवेसी: निजी जानकारी की सुरक्षा बड़ी चुनौती।
अवसर: क्यों भारत को AI अपनाना चाहिए
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आर्थिक फायदा: PwC रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक AI से दुनिया की अर्थव्यवस्था में $15.7 ट्रिलियन का इज़ाफ़ा होगा, जिसमें भारत का हिस्सा $1 ट्रिलियन+ हो सकता है।
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कृषि: स्मार्ट AI टूल्स से किसानों की पैदावार बढ़ेगी।
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हेल्थकेयर: AI आधारित टेलीमेडिसिन से गाँव-गाँव डॉक्टरों तक पहुँच संभव।
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शिक्षा: लाखों बच्चों को AI ट्यूटर्स से बेहतर शिक्षा मिलेगी।
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रोज़गार: सही ट्रेनिंग से भारत में लाखों नई नौकरियाँ बन सकती हैं।
भविष्य: इंसान + AI साथ मिलकर
2035 तक भारत में काम करने का तरीका कुछ ऐसा दिख सकता है:
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रिपिटेटिव काम → पूरी तरह AI से ऑटोमेट।
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एनालिटिकल व क्रिएटिव काम → AI सपोर्ट करेगा, लेकिन इंसान लीड करेंगे।
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नई इंडस्ट्रीज → AI कानून, AI ethics, रोबोटिक्स मेंटेनेंस, डेटा एनालिसिस।
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गिग इकॉनमी → फ्रीलांसर AI टूल्स का इस्तेमाल करेंगे।
छात्रों और पेशेवरों के लिए सीधा संदेश है:
👉 AI सीखो, AI अपनाओ और AI के साथ बढ़ो।
निष्कर्ष: क्या भारत को AI से डरना चाहिए?
जवाब है—नहीं।
AI दुश्मन नहीं है, बल्कि एक नया अवसर है। जिस तरह औद्योगिक क्रांति ने मशीनों से कुछ नौकरियाँ खत्म कीं लेकिन नए उद्योग खड़े किए, वैसे ही AI भी नौकरियों को बदलेगा, न कि पूरी तरह ख़त्म करेगा।
भारत की AI रणनीति, IT सेक्टर और युवा जनसंख्या उसे दुनिया का AI Powerhouse बना सकती है।
जो लोग अपनी स्किल अपडेट करेंगे, नए अवसर अपनाएँगे और इनोवेशन करेंगे, वही असली विजेता होंगे।
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